The first story written for the SARGAM series was a short story called , Kissa Koyal Ka , and the publisher, Delhi Press ( Vishv Vijay publishers of Delhi Press ) said they didn’t want a short story so I started writing and hey presto , I had written a play called Kissa Koyal Ka ( The Bird’s Tale in English ) which was later staged in Mumbai , directed by Nadira Zaheer Babbar !
But here is Kissa Koyal Ka ( Crazy Cuckoo in English )
THE BOOK , THE PLAY , ON STAGE !















And now the original story …..

कुहू ऽऽऽऽ……. कहु ऽऽऽऽऽ…. कुहू ऽऽऽऽ । कोयल की आवाज़ कितनी मधुर होती है । ये कहानी ऐसी ही मधुर वाणी। वाली कोयल कि है । यह कोयल हर दिन एक आम के वृक्ष की डाली पर बैठ कर बेफ़िक्री से कूकती रहती थी, ना कोई काम, ना कोई धंधा, । पर अचानक उसकी दुनिया उलट पलट हो गयी क्यूँकि उसके घोंसले में पड़ा था उसका अंडा । हे भगवान वह चीख़ीं , अब मेरी आराम तलब ज़िंदगी का क्या होगा ! इस बच्ची को पालने पोसने में मेरा जीवन व्यर्थ चला जाएगा । कोयल सोच में पड़ गयी। । क्या करे ? क्या करे ?
तभी उसके दिमाग़ में एक बिजली कौंधी यानि उसे एक तरकीब सूझी और वह ख़ुशी से उछल पड़ी । क्यूँ ना अपने इस अंडे को जंगल की दूसरी छोर पर रहने वाली काकी कौवी के घोंसले में रख दिया जाए । काकी कौवी के पहले से चार अंडे हैं वो पाँचवा भी पाल लेगी ! वैसे भी मोटी काकी कौवी